Vrindavan Krishna Bhajan, Tum Ho Nandlal Janam Ke Kapati

radha raman

तुम हो नंदलाल जनम के कपटी

औरों की गागर नित उठ भरते, मेरी मटकी मझधार में पटकी

तुम हो नंदलाल जनम के कपटी

औरों का माखन नित उठ खाते, मेरो माखन अधरन बिच अटक्यो

तुम हो नंदलाल जनम के कपटी

औरों को दर्शन नित उठ देते, मेरी अखियन दर्शन को तरसीं

तुम हो नंदलाल जनम के कपटी

औरों की गैया नित ही चराते, मेरी गैया वन वन में भटकीं

तुम हो नंदलाल जनम के कपटी

Anisha
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Interview: Swami Vivekanand (The Echo, London, 1896)