सुमिर पवनसुत पावन नामू। अपने बसि कर राखे रामू॥


सुमिर पवनसुत पावन नामू। अपने बसि कर राखे रामू॥
हनुमानजी ने श्री राम नाम का स्मरण करके श्री रामजी को अपने वश में कर रखा है।
सुमिर पवनसुत पावन नामू। अपने बसि कर राखे रामू॥
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Interview: Swami Vivekanand (The Echo, London, 1896)