बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥


बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥ मैं गुरु महाराज के चरण कमलों की रज की वन्दना करता हूँ, जो सुरुचि (सुंदर स्वाद), सुगंध तथा अनुराग रूपी रस से पूर्ण है।
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बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥
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