गोपी गीत, जयतितेधिकं जन्मनाब्रजः श्रयतइन्दिराशश्वदत्रहि दयितदृश्यतां दिक्षुतावका स्त्वयिधृतासवस्त्वांविचिन्वते


जयति तेऽधिकं जन्मना ब्रजः श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि। दयित दृश्यतां दिक्षु तावका स्त्वयि धृतासवस्त्वां विचिन्वते॥
gopi geet with hindi meaning
हे प्रियतम प्यारे! तुम्हारे जन्म के कारण वैकुण्ठ आदि लोको से भी अधिक ब्रज की महिमा बढ गयी है, तभी तो सौन्दर्य और माधुर्य की देवी लक्ष्मी जी स्वर्ग छोड़कर यहाँ की सेवा के लिये नित्य निरन्तर यहाँ निवास करने लगी हैं। हे प्रियतम! देखो तुम्हारी गोपीयाँ जिन्होने तुम्हारे चरणों में ही अपने प्राण समर्पित कर रखे हैं, वन-वन मे भटक कर तुम्हें ढूँढ़ रही हैं।
वंदे गुरु परंपरा
गोपी गीत, जयतितेधिकं जन्मनाब्रजः श्रयतइन्दिराशश्वदत्रहि दयितदृश्यतां दिक्षुतावका स्त्वयिधृतासवस्त्वांविचिन्वते
Views: 1073



blog comments powered by Disqus



20 Interesting facts related to Krishna