हनुमान जी की शक्ति का रहस्य, बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।।
बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।।
सुंदर कांड 1.6 (श्री राम चरितमानस, गोस्वामी तुलसीदास जी)
यह अद्भुत चौपाई, हनुमान जी की शक्ति के पीछे की शक्ति को प्रकट करती है, यानि भक्ति, शारीरिक शक्ति एवं शांत मन की शक्ति! गोस्वामी तुलसीदास जी यहां हनुमान जी की मन-स्थिति का दर्शन कराते हैं। हनुमान जी को पूर्ण विश्वास था कि उनके सभी कार्यों में उनके पास दिव्य मार्गदर्शन और सुरक्षा है क्योंकि उनके कार्यों का उद्देश्य दूसरों की सेवा कर उनका जीवन आनंददायक बनाना है। ‘बार बार रघुबीर संभारी’, बार-बार श्री राम, हनुमान जी को किसी भी संभावित आपदा से सुरक्षित बाहर निकाल लेते हैं।
‘बार बार रघुबीर संभारी' का अर्थ यह भी है कि श्री राम ने हनुमान जी के शरीर पर हर एक बाल तक की रक्षा की! यह श्री राम के संरक्षण का स्तर था! संस्कृत में ध्वनि 'ल'और 'र' अभेद बताए गए हैं और कई स्थानों पर गूढ़ार्थ प्रगट करने में इस विधि का प्रयोग साहित्य में किया जाता है| रामायण में यह बात आती है की हनुमान जी की पूंछ पर तेल और घी में डूबे कपड़े लपेट कर आग लगाई गई जिसमें समस्त लंका नगरी भस्म हो गई, परंतु, उस भयंकर आग से हनुमान जी की पूंछ के बाल भी नहीं जले! रावण ने हनुमान जी की पूंछ को जलाने का आदेश दिया था। वह हनुमान जी के प्रति अन्याय था, इसलिए हानि रावण की लंका को ही हुई| हनुमान जी अग्नि से सुरक्षित रहे|
हनुमान जी को भरोसा था कि उन्हें प्रभु की कृपा से अन्तः स्फुरण से सही मार्गदर्शन मिलता रहेगा| तो, हनुमान जी के मन में कोई बाधा नहीं थी। उन्होंने सदैव ही लक्ष्य पूर्ति के लिए अपनी पूरी शक्ति लगाई तथा विनम्रता से प्रार्थना भी की और मार्गदर्शन का उपयोग भी कर सके।